अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो कोशिश करें की दूसरे लोग आपसे खुश रहें।
एक बार एक अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे थे। अध्यापक ने कागज़ के टुकडे बाँट कर सब बच्चों से कहा कि सब लोग अपने-अपने नाम की एक पर्ची बनायें। सभी बच्चों ने तेजी से अपने-अपने नाम की पर्चियाँ बना लीं और टीचर ने वो सारी पर्चियाँ लेकर एक बड़े से डब्बे में डाल दीं।
अब सब बच्चों से कहा कि वो अपने-अपने नाम की पर्चियां ढूंढे। फिर क्या था, सारे बच्चे डब्बे पे झपट पड़े और अपनी-अपनी पर्चियां ढूंढने लगे और तेजी से ढूंढने के चक्कर में कुछ पर्चियां फट भी गयीं पर किसी को भी इतनी सारी पर्चियों में अपने नाम की पर्ची नहीं मिल पा रही थी।
टीचर ने कहा-“क्या हुआ किसी को अपने नाम की पर्ची मिली?”
सारे बच्चे मुँह लटकाये खड़े थे। टीचर मुस्कुराये और बोले- “कोई बात नहीं, एक काम करो सारे लोग कोई भी एक पर्ची उठा लो और वो जिसके नाम की हो उसे दे दो।“
बस फिर क्या था, सारे बच्चों ने एक एक पर्ची उठा ली और जिसके नाम की थी आपस में एक दूसरे को दे दी, 2 मिनट के अंदर सारे बच्चों के पास अपने-अपने नाम की सही-सही पर्चियां थीं।
अध्यापक ने बच्चो को समझाया- “कुछ देर पहले जब तुम लोग अपनी-अपनी पर्चियां ढूंढ रहे थे तो काफी समय बाद भी सही पर्ची नहीं पकड़ पाये और अगले ही पल जैसे ही मिलकर पर्चियां ढूढ़ी 2 मिनट के अंदर ही मिल गयी, इसी तरह हम लोग जीवन की भाग दौड़ में खुद की खुशी के लिए भागते रहते हैं लेकिन कभी खुशियां नहीं ढूढ पाते अगर हम मिलकर एक दूसरे का काम करें एक दूसरे के दुःख और सुख बाटें तो खुश रहना बहुत आसान हो जायेगा। किसी महापुरुष ने कहा है कि अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो कोशिश करें की दूसरे लोग आपसे खुश रहें।“

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